संगीत निर्देशक और संगीतकार

चिड़ियों की चहचाहट से लेकर, झरनों और नदियों के कल-कल बहती आवाज  में, सार्वजनिक जगहों पर लोगों की बातचीत से लेकर एकांत में बैठने तक में संगीत छिपा है। संगीत हर चीज में हैं। संगीत के बिना जीवन अधूरा होता है। तो क्या आपको भी संगीत पसंद है, क्या आप कोई यंत्र बजा लेते हैं? क्या आप संगीत की धुनों से मोहित हों जाते हैं। यदि ऐसा हैं को संगीत का क्षेत्र आपके लिए सुंदर करियर विकल्प को लेकर खड़ा है। एक समय तक जहां संगीत केवल मनोंरजन का साधन भर था वहीं आज संगीत एक सफल करियर विकल्प के रुप में उभरा है। आज हमारे पास विश्व प्रख्यात गीतकार हैं, तो इसका काफी योगदान भारत के संगीत घरानों को जाता है। पहले की बात और थी कि संगीत सीखने के साधन काफी सीमित थे, जैसे की सिर्फ संगीत घराने में ही था. पर आज की बात अलग ही है. काफी सारी संस्थाएं, विद्यालय, और विश्व विद्यालय, संगीत में डिप्लोमा, अंडर ग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम उपलब्ध कराती हैं

आप करियर विकल्प के रूप में संगीत निर्देशन या संगीत के रचनाकार को चुन सकते हैं। संगीत निर्देशकों को बैंड, गायन और ऑर्केस्ट्रा जैसे संगीत समूहों द्वारा कंडक्टर लीड, प्लान इंस्ट्रुमेंटल या मुखर प्रदर्शन के रूप में भी जाना जाता है। दूसरी ओर संगीतकार विभिन्न संगीत शैलियों में मूल संगीत लिखते और उन्हें व्यवस्थित करते हैं। आज बॉलीवुड फिल्में केवल अपने संगीत के माध्यम से ही जानी जाती है। यदि किसी फिल्म का संगीत अच्चा है तो वह दर्शकों और श्रोताओं को अवश्य पंसद आती है।  लेकिन कुछ लोग सोचते हैं कि म्यूजिक इंडस्ट्री में बहुत नाम, शोहरत और पैसा  है तो यही तो करियर के लिए यही सही निर्णय होगा वो बिलकुल गलत हैं आप सिर्फ पैसा कमाने के लिए म्यूजिक से नहीं जुड़ सकते | इस क्षेत्र से जुड़ने के लिए आपका लगाव संगीत के प्रति दिल से होना चाहिए|

संगीतकार का काम

आज के संयम में संगीत को महज शौक मानने वालों की कमी नहीं है। लेकिन विश्व के तेजी से बदलते परिदृश्य में संगीत एक महत्वपूर्ण प्रोफेशन का रूप धारण कर लिया है। खासतौर से युवाओं में इसका क्रेज आए दिन तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में देश-विदेश में युवाओं में म्यूजिक बैंड बनाने और परफॉर्म करने का ट्रेंड जोर पकड़ता जा रहा है। इस प्रकार के बैंडस में वोकल आर्टिस्ट (गायक) और इंस्टूमैंट्रल आर्टिस्ट (वाद्ययंत्र कलाकार) दोनों का ही समन्वयन होता है। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य छोटे स्तरों पर इस प्रकार के सैकड़ों हजारों बैंडस आज अस्तित्व में आ चुके हैं। जिन्हें चलाने के लिए संगीतकारों की आवश्यकता होती है। 

एक संगीत निर्देशक की भूमिका

  • प्रदर्शन और रिकॉर्डिंग के लिए अभ्यास करना।
  • नए गायक और कलाकारों का ऑडिशन लेना।
  • निर्देशक लाइव दर्शकों के लिए रिकॉर्ड या प्रदर्शन की जाने वाली रचनाओं का चयन करता है।
  • स्कोर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए संगीत लाइब्रेरियन के साथ समन्वय करना।
  • धन की व्यवस्था करना और प्रचार गतिविधियों को लागू करना।
  • अपने काम की व्याख्या करने के लिए संगीतकार के साथ चर्चा करना।
  • अतिथि कलाकार और एकल कलाकार चुनना।

एक संगीतकार की भूमिका

  • फिल्मों, नाटकों और बैंड के लिए मूल गीत-संगीत लिखते और बनाते हैं।
  • संगीतकार संगीत का एक टुकड़ा बनाने के उद्देश्य के लिए कंपनियों और संगीत समूहों से मिलता है।
  • संगीत बनाने और रिकॉर्ड करने के लिए संगीत निर्देशकों और गायकों के साथ काम करता है।
  • नए स्कोर और शैलियों के लिए शोध करना।
  • टेलीविजन या फिल्मों में म्यूज़िकल पीस के प्लेसमेंट को अंतिम रूप देने के लिए निर्देशकों और संपादकों के साथ चर्चा करना।
  • विभिन्न संगीत शैलियों और रचनाओं का अन्वेषण करना।

एक संगीत निर्देशक और संगीतकार के लिए आवश्यक कौशल

आप यदि संगीत को अपना करियर बनाने के बारे में सोच रहे है, तो आप में संगीत के प्रति सच्चा प्रेंम, संगीत का बोध अर्थात समय और ताल की पहचान होना चाहिए। इसके साथ ही उसमें वैविध्यता, सृजनात्मक योग्यता तथा आत्मविश्वास का गुण भी होना चाहिए। इसके साथ-साथ सही लोगों के साथ सार्वजनिक सम्पर्क, प्रशिक्षण तथा उसे व्यावसायिक रूप से लोकप्रिय बनाने के लिए डेमो सीडी बनाने के लिए पैसा होना भी आवश्यक है। जिस तरह से संगीत में शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, जॉझ, पॉप, यूजन जैसी विविधताएँ होती हैं, उसी तरह इस क्षेत्र में करियर निर्माण के लिए कई तरह के अवसर उपलब्ध हैं। संगीतकार एवं निर्देशक बनने के लिए व्यक्ति के अंदर कुछ आवश्यक गुण भी होने चाहिए जो इस प्रकार हैं-
संगीत ज्ञान: संगीत निर्देशक या संगीतकार बनने के लिए अलग संगीत शैली और रचनाओं का एक विशाल ज्ञान होना चाहिए। उन्हें विभिन्न संगीत वाद्ययंत्रों में निपुण होना चाहिए।

कंप्यूटर ज्ञान: चूंकि आज अधिकांश संगीत, कंप्यूटर पर बन रहे है, इसलिए सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का पर्याप्त ज्ञान आवश्यक है।

पारस्परिक कौशल: एक संगीतकार और संगीत निर्देशक के पास अच्छे पारस्परिक कौशल होने चाहिए। उन्हें अन्य संगीतकारों को निर्देशित करना होगा और प्रदर्शन करना होगा जो कई बार 100 से अधिक संगीतकारों को शामिल कर सकते हैं। इसलिए सबको साथ लेकर चलने का कौशल भी होना चाहिए।

मौलिकता: संगीतकार  को अपने मूल संगीत को बनाने में सक्षम होना चाहिए।

दृढ़ता: कई ऑडिशन और रिहर्सल कई बार निराशाजनक हो सकते हैं। संगीत निर्देशकों और संगीतकारों को ऑडिशन और रिहर्सल में भाग लेने के लिए निरंतरता रखनी चाहिए।

एक संगीत निर्देशक और संगीतकार के पक्ष और विपक्ष की बातें

पक्ष
  • एक पेशे में संगीत के अपने शौक का अनुवाद करने का अवसर मिलता है।
  • कोई निश्चित शैक्षणिक आवश्यकताएं नहीं।
  • घर से काम करने का अवसर।
  • आपको स्वयं निर्धारित करने का विकल्प।
  • लाइव दर्शकों के सामने प्रदर्शन करने की संभावना।
विपक्ष
  • मनोरंजन शहरों में स्थानांतरण आम है।
  • स्व-नियोजित संगीतकार में बेरोजगारी की अवधि हो सकती है।
  • संगीत उद्योग की लोकप्रियता के कारण कठिन नौकरी की उम्मीद है।
  • यदि आप लंबे समय तक तेज संगीत के आसपास काम कर रहे हैं तो आपको सुनने में नुकसान हो सकता है।
इसके अतिरिक्त संगीत को अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए महज संगीत में रुचि रखना ही काफी नहीं है। इसके अलावा उन्हें सृजनात्मक प्रतिभा का धनी, धुन का पक्का, मेहनती, संगीत की समझ, वाद्ययंत्रों का ज्ञानी आदि गुणों से भरा-पूरा होना भी जरूरी है। 

इसके लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था छोटे से लेकर बड़े शहरों तक में उपलब्ध हैं कोर्सेज ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन के अतिरिक्त सर्टिफिकेट डिप्लोमा एवं पार्ट टाइम प्रकार के हो सकते हैं। नामी विश्वविद्यालयों से लेकर संगीत अकादमियों तक में इस प्रकार के ट्रेनिंग कोर्सेज स्कूली बच्चों और युवाओं के लिए उपलब्ध हैं। 

म्यूजिक इंडस्ट्री : इस उद्योग में कई प्रकार के म्यूजिक आधारित प्रोफेशनलों की अहम भूमिका होती है, इनमें विशेष तौर पर म्यूजिक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर, कंपोजर, म्यूजिशियन, जैसे कार्यकलापों के अलावा म्यूजिक बुक्स की पब्लिशिंग, म्यूजिक अलबम रेकार्डिंग म्यूजिक डीलर, म्यूजिक स्टूडियो के विभिन्न विभागों इत्यादि का उल्लेख किया जा सकता है। 

टेलीविजन : साउंड रिकार्डिस्ट, म्यूजिक एडिटर, प्रोडक्शन, आर जे एवं डीजे म्यूजिक लाइसेंस में ऐसे जानकार और अनुभवी लोगों की जरूरत प़ड़ती है। 

स्टेज परफार्मेंस : म्यूजिक शो, टेलीविजन म्यूजिक प्रोग्राम, म्यूजिक कंपीटिशन आर्म्ड फोर्सेज बैंडज, सिंफनी आर्केस्ट्रा, डांस बैंड, नाइटक्लब, कसर्ट शो, रॉक और जैज ग्रुप इत्यादि में भी इनकी भूमिका का नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 

म्यूजिक थेरेपिस्ट : विकलांगता के शिकार बच्चों और लोगों के अलावा मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्तियों के उपचार में आजकल संगीत को काफी महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। इस प्रोफेशन में सफल होने के लिए संगीत, अध्यायन और थेरेपी का जानकार होना जरूरी है। इनके लिए हॉस्पीटलों, मेंटल टैम्थ सेंटरों, नर्सिंग होम्स इत्यादि में रोजगार के अवसर हो सकते हैं। 

स्टूडियो टीचिंग : म्यूजिक टीचर के रूप में स्कूलों कॉलेजों और अन्य संगीत प्रशिक्षण संस्थाओं में करियर बनाने के बारे में भी सोचा जा सकता है। इनमें भी विशेषतता प्राप्त टीचर का खासा महत्व होता है। विशेषताओं में खासतौर पर म्यूजिक थ्यरी, म्यूजिक हिस्ट्री एंड लिट्रेचर, म्यूजिक एजुकेशन, म्यूजिकोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक, कंपोजिशन अथवा म्यूजिक थेरेपी की बात की जा सकता है। 

आवश्यक योग्यता

बारहवीं के बाद म्यूजिक फील्ड से जुड़े कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है। यदि चाहें, तो सर्टिफिकेट कोर्स, बैचलर कोर्स, डिप्लोमा कोर्स और पोस्ट ग्रेजुएट लेवॅल के कोर्स भी कर सकते हैं। अमूमन सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि एक वर्ष, बैचलर डिग्री कोर्स की तीन वर्ष और पोस्ट ग्रेजुएट लेवॅल कोर्स की अवधि दो वर्ष की होती है। 

संगीत को अपना प्रोफेशन बनाने के लिए शास्त्रीय संगीत की बारीकियों को भी अच्छी तरह से समझ लेना जरूरी है। इसके लिए किसी अच्छे गुरु का सान्निध्य अधिक मददगार होता है। यदि कोई क्लासिकल परफॉर्मर बनना चाहता है, तो उसे हर हाल में गुरु-शिष्य परंपरा से खुद को जोड़ना ही होगा। इसी तरह यदि कोई संगीत के एकेडमिक क्षेत्र में जाना चाहता है, तो यह जरूरी है कि उसके पास संगीत से जुड़ी डिग्री भी हो। 

करियर संभावनाएं

भारतीय मनोरंजन उद्योग जितनी तेजी से प्रगति कर रहा है, उसे देखते हुए संगीत के क्षेत्र में करियर की काफी अच्छी संभावनाएं बन रही हैं। वोकल म्यूजिक, गजल या फिर पार्श्वगायकी के क्षेत्र में जाना चाहें अथवा विज्ञापन की दुनिया में धूम मचाना चाहें, संगीत उद्योग में कई तरह के विकल्प मौजूद हैं। संगीत के क्षेत्र में टीचिंग, सिंगिंग, म्यूजिशियन, रेकार्डिंग, कंसर्ट, परफॉर्मर, लाइव शो, डिस जॉकी, वीडियो जॉकी और रेडियो जॉकी के रूप में करियर की शुरुआत की जा सकती है। क्लासिकल, फॉक, गजल, पॉप, फ्यूजन आदि के क्षेत्र में भी भरपूर अवसर हैं। कॉपीराइटर, रिकॉर्डिग टेक्नीशियन, इंस्ट्रूमेंट मैन्युफैक्चरिंग, म्यूजिक थेरेपी, प्रोडक्शन, प्रमोशन आदि क्षेत्र में भी बेहतरीन अवसर हैं। जहां तक जॉब की बात है, तो एफएम चैनल्स, म्यूजिक कंपनी, प्रोडक्शन हाउस, म्यूजिक रिसर्च ऑर्गनाइजेशन,  एजुकेशनल इंस्टीटयूट, गवर्नमेंट कल्चरल डिपार्टमेंट, म्यूजिक चैनल आदि में कोशिश की जा सकती है।

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