तनाव के कारण और इससे कैसे निपटें

अनजाने में, तनाव हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। और यह किसी को भी प्रभावित कर सकता है - बच्चों से लेकर वयस्कों तक, पुरुषों से लेकर महिलाओं तक हर किसी को तनाव का सामना करना ही पड़ती है। तनाव से प्रभावित होने वाले सबसे बड़े समुदायों में से एक छात्र समुदाय है। अक्सर 10 वर्ष की आयु के छात्र तनाव और सहकर्मी दबाव से पीड़ित होते हैं। प्रदर्शन करने के लिए लगातार दबाव और शीर्ष पर रहने का तनाव छात्रों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। तनाव केवल शारीरिक ही नहीं होता बल्कि मानसिक भी होता है। मानसिक तनाव सदैव घातक होता है। लेकिन फिर तनाव के कारण क्या होंते हैं। क्या तनाव हमेशा साथियों के दबाव या माता-पिता के दबाव के कारण होता है? या तनाव का कोई अन्य कारण है इसके लिए आइए तनाव का कारण बनने वाले कुछ कारकों का विश्लेषण करें:

छात्रों में तनाव के कारण

स्वंय पर अनुशासन


तनाव के सबसे आम कारणों में से एक असंघठन होता है जो विशेषकर कॉलेज के छात्रों के बीच तनाव का मुख्य कारण होता है। ज्यादातर बच्चे अपने कॉलेज के लिए घर से बाहर निकलते हैं और उन्हें अपने दम पर बाहरी चीजों को संभालना मुश्किल हो जाता है। इधर-उधर चीजों का बिखराव और तनाव को बढ़ा देता है। किताबें, फाइलें और कागजात और यहां तक कि स्टेशनरी जैसे समानों के सही जगह ना रखना तनाव को बढ़ाने का कारण बनता है ऐसे में यदि छात्र एक छात्रावास में रहता है और उसे अपने भोजन और कपड़े धोने का प्रबंध करना पड़ता है, तो समस्याएँ और बढ़ जाती हैं। इसके लिए उचित जगह पर चीजों को रखना, बड़े करीने से उनका प्रबंधन व ध्यान रखने से ना केवल आप शांत हो जाएंगे, बल्कि एक कम समय में महत्वपूर्ण कागजात और पुस्तकों की आवश्यकता होने पर आप आसानी से उन्हें ढूंढ कर अपनी मदद कर पाएगें। ऐसा करने से आप स्वंय को तनाव मुक्त पाएगें।

काम का बोझ

स्कूल से सीधे बाहर निकल कर, काम का बोझ कॉलेज के लोगों के लिए एक बड़ी बाधा होती है। स्कूल के बाद कॉलेज में  केवल परीक्षा और कक्षा परीक्षण ही नहीं होता बल्कि एक छात्र को कई असाइनमेंट और प्रोजेक्ट के साथ जूझना पड़ता है। अगर छात्र पूरी लगन से अपने दिनों की योजना नहीं बनाता है, तो तनाव का प्रबंधन करना बहुत मुश्किल हो जाता है। स्कूल में भी बच्चे इन दिनों बहुत तनाव से गुजरते हैं। स्कूल में प्रत्येक दिन प्रदर्शन करने के लिए अनावश्यक प्रतियोगिता, युवा दिमाग पर बहुत दबाव डालती है जो छात्रों को अनावश्यक तनाव में डाल देता है।

समय प्रबंधन

पहले बच्चे को समय प्रबंधन सिखना चाहिए क्योंकि बच्चा जितना समय प्रबंधन सीखता है उतना ही अच्छा होता है। अधिकांश बच्चे तनाव से पीड़ित होते हैं क्योंकि वे समय का प्रबंधन करने में असमर्थ होते हैं। स्कूली बच्चे एक ही समय में बहुत सारी गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं और खुद को सिर्फ एक कक्षा से दूसरी कक्षा में शिफ्ट कर पाते हैं। कॉलेज के छात्र रिश्तों और सामाजिक नेटवर्किंग जैसी कई अन्य चीजों के बीच व्यस्त होंते हैं जिससे वो अपना समय प्रबंध नहीं कर पाते। ये उन्हें अपने काम को प्राथमिकता देने से रोकते हैं और यही कारण है कि वो तनाव में आ जाते हैं। 

पौष्टिक भोजन ना लेना

बच्चे महसूस नहीं करते हैं लेकिन सही खाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह ना केवल इस उम्र के छात्रों के लिए बेहद आवश्यक है बल्कि यह हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत  भी बनाता है। पौष्टिक भोजन आपको ना केवल शारिरिक रुप से तंदरुस्त बनाता है बल्कि यह मानसिक रुप से भी आपको तनाव मुक्त कर स्वस्थ करता है। आपको बहुत आवश्यक ऊर्जा भी देता है। तले हुए खाद्य पदार्थ और सोडा जो आपमें पानी की कमी पैदा करते हैं, उन्हें खाने के बजाय सही प्रकार के भोजन को खाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। फल, मछली और अंडे जैसे ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। मन को तरोताजा रखने के लिए अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए।

सामाजिक तनाव और संबंध

यह 21 वीं सदी की एक और अतिरिक्त समस्या है। सोशल नेटवर्किंग लगभग अधिकांश युवाओं द्वारा चौबीसों घंटे प्रयोग की जाती है। पेसबुक, वाट्सेप, इस्टाग्राम जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर दिन-रात छात्र ऑनलाइन रहते हैं। अजनबियों के साथ दोस्ती करना, प्यार में पड़ना और फिर ब्रेकअप कर के बाहर निकलना बच्चों के पहले से मौजूद दबाव और तनाव को और बढ़ा देता है। जरा –जऱा सी बात पर चिड़चिड़ाहट, सोशल नेटवर्किंग के जरिए दोस्तों से बात ना होने पर झूंझला जाना इस तनाव को और बढ़ा देता है जो काफी घातक होता है। इस उम्र में बच्चे शराब पीने और धूम्रपान जैसी आदतों के लिए भी अतिसंवेदनशील होते हैं उन्हें लगता है कि ऐसा करने से तनाव कम होगा जबकि वास्तव में यह सब तनाव को और बढ़ाते हैं और साथ ही सेहत पर भी बुरा असर डालते हैं। 

स्कूल और कॉलेज का माहौल

यदि स्कूल एक बच्चे के अनुकूल वातावरण प्रदान नहीं करता है, तो एक बच्चा अपने कार्य में पीछे हट सकता है जिसके परिणामस्वरूप तनाव हो सकता है। यदि स्कूल या कॉलेज में अनुकुल वातावरण नहीं हैं, तो यह छात्रों के बीच बहुत तनाव पैदा कर सकता है। इसके लिए स्कूल और कॉलेज में अच्छा माहौल होना अति आवश्यक है। 


तनाव से कैसे निपटें

ध्यान

बड़ों द्वारा प्रचलित सदियों पुरानी परंपरा तनाव से मुकाबला करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। आपको बस कम से कम 10 मिनट के लिए अपनी आँखें बंद करने की आवश्यकता है और अपने आप को किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से दूर रखें। आंखे बंद कर सब कुछ भूल जाएं और लंबी गहरी सांस लें। यह तकनीक आपके मस्तिष्क को आराम देती है और आपको शांत करने में मदद करती है।

व्यायाम

नियमित रूप से किसी खेल का अभ्यास करने से आपकी मांसपेशियाँ केवल लचीली ही नहीं होंगी, बल्कि इससे आपको तनाव कम करने में भी मदद मिलेगी। कोई भी कठिन व्यायाम नहीं बल्कि रोजाना 15 मिनट की नियमित सैर आपको तरोताजा करने में भी मदद करेगी। व्यायाम से एंडोर्फिन निकलता है जो दिमाग में सकारात्मक बदलाव लाता है।

नियमित ब्रेक लें

यह वास्तव में परीक्षा के समय के दौरान विशेष रूप से मदद करता है। तनाव कम करने के लिए बीच-बीच में छोटे-छोटे ब्रेक लें। छोटी सैर के लिए जाएं, संगीत सुनें या किताब पढ़ें। आप अपने दोस्तों या चचेरे भाइयों के साथ भी बाहर जा सकते हैं और उन चीजों के बारे में बात कर सकते हैं जो आपको पसंद हैं आप अपनी पसंद की कोई फिल्म या डॉक्यूमेंट्री भी देख सकते हैं। हल्के-फुल्के जोक्स पढ़ना भी मददगार साबित हो सकता है।

सोशल नेटवर्क से खुद को दूर रखें

भले ही यह थोड़ी देर के लिए हो, आपको फेसबुक, व्हाट्सएप जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स  से दूर रहना चाहिए। यह आपको और तनाव नहीं देगें और आपको आराम करने में मदद करेगें। हालांकि सोशल नेटवर्किंग अच्छी है, लेकिन यह कई बार बाधा भी साबित हो सकती है, खासकर ऐसे समय में जब आपको आराम करने की जरूरत होती है।

स्वस्थ आहार

ताजे फल और सब्जियां खाने और जूस का सेवन करने से आपको ताजगी महसूस होगी जो आपको डी हाइड्रेटेड होने से बचाएगी। जूस प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए अच्छे हैं जो आपके तनाव को नियंत्रित करने में मदद करेंगे। बीच में अच्छा नाश्ता भी तनाव को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। याद रखे स्वस्थ दिमाग ही स्वस्थ शरीर का जरिया है जिसके लिए स्वस्थ खाना बहुत जरुरी है।

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