एथलेटिक्स ट्रेनर

आज के इस प्रतियोगिग दौर में हर माँ बाप अपने बच्चे को इंजीनियर या डॉक्टर बनाना चाहता है | जिससे उनके भविष्य को सुरक्षित किया जा सके| ख़ैर ये तो हर माँ बाप चाहते है लेकिन इन सभी विकल्पों के अलवा अगर आप खेलो में अपना भविष्य बनाना चाहते है तो सिर्फ खेलने के अलावा भी बहुत कुछ है जो आप खेलो में कर सकते है| यदि आप खेल और स्वास्थ्य सेवा से प्यार करते हैं तो एथलेटिक ट्रेनर्स एक अच्छे करियर विकल्प को लेकर खड़ा है। एथलेटिक ट्रेनर्स वो हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स होते हैं जो कि स्पोर्ट्स मेडीसन टीम के साथ मिलकर मेडिकल की सुविधा प्रदान करते हैं। एक एथलेटिक ट्रेनर के रूप में आप पेशेवर एथलीटों या एक हाई स्कूल फुटबॉल टीम के साथ काम कर सकते हैं, एथलेटिक ट्रेनर की मूल भूमिका समान है: एथलीटों की चोटों को रोकना और उनका इलाज करना। एथलेटिक ट्रेनर अनावश्यक चिकित्सा उपचार और सामान्य दैनिक जीवन के व्यवधान से बचने में सहायता करते है, यदि आप घायल हो गए हैं, तो उन्हें आपको स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का काम एथलेटिक्स का ही होता है। आपको खेल के प्रति किस तरह से चुस्त एवं दुरुस्त रखा जाए यह एक एथलेटिक्स प्रशिक्षक करता है। 

एथलेटिक ट्रेनर की भूमिका

  • एथलेटिक प्रशिक्षक आमतौर पर निम्नलिखित कार्य करते हैं:
  • टेप, पट्टियाँ और ब्रेसिज़ जैसे सुरक्षात्मक या चोट-निवारक उपकरण लागू करना।
  • चोटों को पहचानना और उनका मूल्यांकन करना।
  • प्राथमिक चिकित्सा या आपातकालीन देखभाल प्रदान करना।
  • घायल एथलीटों के लिए पुनर्वास कार्यक्रमों का विकास और संचालन करना।
  • एथलेटिक्स से चोट और बीमारी को रोकने के लिए व्यापक कार्यक्रमों की योजना बनाना और उन्हें लागू करना।
  • प्रशासनिक कार्य करना, जैसे कि रिकॉर्ड रखना और चोटों और उपचार कार्यक्रमों पर रिपोर्ट लिखना।
  • खिलाडियों को स्वस्थ रखने का कार्य करना, उनके लिए नई योजनाएं बनाना।

एथलेटिक ट्रेनर के आवश्यक कौशल

चिकित्सा ज्ञान: एथलेटिक प्रशिक्षकों को चिकित्सा ज्ञान की एक विस्तृत श्रृंखला को बनाए रखने में सक्षम होना चाहिए। उन्हें रोगियों के लक्षणों का मूल्यांकन करना चाहिए, अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ परामर्श करना चाहिए और उचित उपचार की सलाह और प्रशासन करना चाहिए। उन्हें पता होनी चाहिए कि कौन सी चोट कितनी घातक है एवं इसका क्या उपचार होगा।

निर्णय लेने का कौशल: एथलेटिक प्रशिक्षकों को त्वरित निर्णय लेने में सक्षम होना चाहिए जो उनके ग्राहकों के स्वास्थ्य या करियर को प्रभावित कर सकते हैं।

सटीकता: एथलेटिक प्रशिक्षकों को विस्तृत, सटीक प्रगति रिकॉर्ड करने और यह सुनिश्चित करने में सक्षम होना चाहिए कि मरीज उचित उपचार प्राप्त कर रहे हैं या नहीं। उन्हें पता होना चाहिए कि किस खिलाड़ी को किस उपचार की आवश्यकता है।

पारस्परिक कौशल: एथलेटिक प्रशिक्षकों के पास मजबूत पारस्परिक कौशल होना चाहिए। उन्हें तनावपूर्ण स्थितियों का प्रबंधन करने में सक्षम होना चाहिए। उन्हें चिकित्सकों, एथलीटों, कोचों और माता-पिता सहित दूसरों के साथ अच्छी तरह से संवाद करने में सक्षम होना चाहिए।

शैक्षिक योग्यता

एक हाई स्कूल एथलेटिक्स प्रशिक्षक के पास कम से कम बेचलर की डिग्री और शिक्षण लाइसेंस होना जरूरी है. इनके पास शिक्षण डिग्री या फिर एकसरसाइज, काईनसियोलोजी, फिजिकल एज्युकेशन, या किसी भी उचित क्षेत्र से डिग्री होनी जरूरी है. एथलेटिक ट्रेनर्स के लिए बैचलर की डिग्री के बाद कम से कम दो साल का क्लीनिकल एक्सपीरियंस लेना बहुत जरूरी है और आप सर्टिफिकेशन के लिए Board of Certification (BOC) में अप्लाई कर सकते हैं. एथलेटिक ट्रेनर्स द्वारा प्रदान की जाने वाली कुछ सेवायें हैं – प्रेवेंटेटीव सर्विस, एमरजेंसी सर्विस, क्लिनिकल डायनोसिस और पुनर्वास. ज्यादातर बैचलर की डिग्री ही मानी जाती है.

करियर संभावनाएं

पिछले कुछ सालों में भारत में खेल में करियर बनाने वालों में काफी प्रतिस्पर्धा है और इसका कारण है लोगों का खेल से प्यार और साथ ही नाम और सौहरत है। स्कूल से लेकर पेशेवर खेल तक एथलेटिक्स प्रशिक्षक की काफी मांग रहती है. हर लेवल के साथ अलग-अलग जिम्मेदारियां भी होती है। प्रोफेशनल खेलों में काफी प्रतिभाशाली एथलेटिक्स प्रशिक्षक की जरूरत होती है। इस तरह एक अच्छे स्तर का कोच बनने के लिए शुरुआत कॉलेज कोच और एथलीट से की जा सकती है और फिर धीरे-धीरे आप मुख्य कोच के लेवल तक पहुँच सकते हैं। आप एथलेटिक ट्रेनर के रुप में विभिन्न व्यावसायिक जगहों में काम करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
  • पेशेवर और कॉलेज लेवल खेल
  • माध्यमिक और इंटरमीडिएट स्कूल
  • खेल चिकित्सा क्लीनिक
  • अस्पताल ईआर और पुनर्वसन क्लीनिक
  • कला प्रदर्शन
  • कानून प्रवर्तन और सैन्य
  • चिकित्सकों के कार्यालय आदि।

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