प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी (जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट)

भारत अपनी विशिष्ट, मनोहर और विविध पारिस्थतिकी प्रणाली के कारण वन्यजीवों से भरा-पड़ा है। वन्यजीव के अंतर्गत ऐसा कोई भी प्राणी, जलीय या भू-वनस्पति आती है जो किसी तरह के प्राकृतिक वास के रूप में होती है। यदि आपको प्रकृति के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है, यदि आप जीव-जतुंओ और मानव के अस्तित्व के बारे में जानाना चाहते हैं तो आप  प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी के रुप में अच्छा करियर बना सकते हैं।  इस क्षेत्र में नौकरी की वृद्धि जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान द्वारा जारी है। इसके कई क्षेत्रों में विशेषज्ञ शामिल हैं - वन्यजीव अनुसंधान और प्रबंधन, भूमि और जल क्षेत्रों के वर्तमान और संभावित उपयोग के पर्यावरणीय प्रभावों को निर्धारित करने के लिए जैविक डेटा का संग्रह और विश्लेषण। प्राणीविज्ञान और वन्यजीव जीवविज्ञान जीव विज्ञान की ही एक शाखा है, जिसमें जीव-जंतुओं का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इसमें प्रोटोजोआ, मछली, सरीसृप, पक्षियों के साथ-साथ स्तनपायी जीवों के बारे में अध्ययन किया जाता है। इसमें हम न सिर्फ  जीव-जंतुओं की शारीरिक रचना और उनसे संबंधित बीमारियों के बारे में जानते हैं बल्कि मौजूदा जीव-जंतुओं के व्यवहार, उनके आवास, उनकी विशेषताओं, पोषण के माध्यमों, जेनेटिक्स व जीवों की विभिन्न जातियों के विकास के साथ-साथ विलुप्त हो चुके जीव-जंतुओं के बारे में भी जानकारी हासिल करते हैं।

वन्य जीव जीवविज्ञान : पशुओं और उनके ठहरने के स्थानों की संख्या का अध्ययन वन्यजीव बायोलॉजी कहलाता है। वन्य जीवों के लिए अपेक्षित जीवन मार्ग तथा प्राकृतिक वातावरण आदि क्षेत्रों का वन्यजीव-विज्ञानी गहराई से अध्ययन करते हैं। वन्यजीव वैज्ञानिक पारिस्थितिकी, गणना, रूपविज्ञान, व्यवहार और शरीरविज्ञान, वन्यजीवों के रोगों, वन्यजीव बंदी और रोकथाम, पशु आवास, प्रजनन,पुनर्वास, फारेंसिक, संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े पहलुओं का अध्ययन करते हैं और नई-नई खोज करते हैं। 

प्राणिविज्ञानः यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं। आधुनिक जीव विज्ञान एक बहुत विस्तृत विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएँ हैं। प्राणिविज्ञान का अध्ययन मनुष्य के लिए बड़े महत्व का है। मनुष्यके चारों ओर अलग-अलग प्रकार के जंतु रहते हैं। वह उन्हें देखता है और उसे उनसे बराबर काम पड़ता है। कुछ जंतु मनुष्य के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध हुए हैं। अनेक जंतु मनुष्य के आहार होते हैं। जंतुओं से हमें दूध प्राप्त होता है। कुछ जंतु ऊन प्रदान करते हैं, जिनसे बहुमूल्य ऊनी वस्त्र तैयार होते हैं। जंतुओं से ही रेशम, मधु, लाख आदि बड़ी उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। जंतुओं से ही अधिकांश खेतों की जुताई होती है। बैल, घोड़े, खच्चर तथा गदहे इत्यादि परिवहन का काम करते हैं। प्राणीविज्ञान उन्हें समझने का अवसर देता है।

प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी मौलिक जीवन प्रक्रियाओं की बेहतर समझ हासिल करने के लिए अनुसंधान करते हैं। शोध की दो सामान्य श्रेणियां बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान हैं।

बुनियादी अनुसंधान: बुनियादी अनुसंधान का लक्ष्य केवल मानव ज्ञान पर विस्तार करना है। प्राणी विज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी जो बुनियादी अनुसंधान करते हैं, वे आमतौर पर एक विश्वविद्यालय, सरकारी या निजी उद्योग प्रयोगशाला में काम करते हैं। यह उनके लिए कॉलेज में शुरू किए गए विशेष शोध पर विस्तार के लिए आम है।

अनुप्रयुक्त अनुसंधान: अनुप्रयुक्त अनुसंधान का लक्ष्य एक विशेष समस्या को हल करने की दिशा में निर्देशित होता है। प्रायोगिक अनुसंधान या उत्पाद विकास में काम करने वाले प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी नए उपचार, दवाओं और चिकित्सा नैदानिक परीक्षणों का निर्माण करने के लिए बुनियादी अनुसंधान में प्राप्त ज्ञान का उपयोग करते हैं साथ ही यह नए जैव ईंधन विकसित करने  और फसल की पैदावार में वृद्धि करने का कार्य भी करते हैं।।


प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी की भूमिका

  • प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी आमतौर पर निम्नलिखित कार्य करते हैं:
  • नियंत्रित या प्राकृतिक परिवेश में जानवरों के साथ प्रयोगात्मक अध्ययन का विकास और संचालन करना।
  • आगे के विश्लेषण के लिए जैविक डेटा और नमूने एकत्र करना।
  • जानवरों की विशेषताओं का अध्ययन करना, जैसे कि अन्य प्रजातियों, प्रजनन, बीमारियों और आंदोलन के पैटर्न के साथ उनकी बातचीत को समझना।
  • उस गतिविधि का विश्लेषण करना जो मानव गतिविधि के तहत वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों पर है।
  • वन्यजीवों की आबादी का अनुमान लगाना।
  • शोध पत्र, रिपोर्ट और विद्वानों के लेख लिखना जो उनके निष्कर्षों की व्याख्या करते हैं।
  • अनुसंधान निष्कर्षों पर प्रस्तुतियाँ देंना।
  • वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के मुद्दों पर नीति निर्माताओं और आम जनता के लिए सिफारिशें करना।

प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी के आवश्यक कौशल

ध्वनि तर्क और निर्णय कौशलः प्रायोगिक परिणामों और वैज्ञानिक टिप्पणियों से निष्कर्ष निकालने के लिए प्राणीविदों और वन्यजीव जीव विज्ञानियों को ध्वनि तर्क और निर्णय की आवश्यकता होती है।

डाटा एकत्र करने का कौशलः जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट को जानवरों और प्राणियों से संबधित डाटा एकत्र करने की आवश्यकता होती है।

बोलने का कौशलः जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट के अंदर बातचीत करने का कौशल होना चाहिए। 

लेख कौशलः जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट को लिखने का कौशल आना चाहिए। उन्हें कई बार अपनी रिपोर्टों को लिखित रुप में प्रस्तुत करना होता है अतः प्रभावी ढंग से लिखना आना चाहिए। प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी वैज्ञानिक शोधपत्र, रिपोर्ट और लेख लिखते हैं जो उनके निष्कर्षों की व्याख्या करते हैं।

टीम कार्यकर्ता: प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी आमतौर पर टीमों पर काम करते हैं। उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम होना चाहिए।

अवलोकन कौशल: प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी किसी जानवर की विशेषताओं, जैसे उनके व्यवहार या उपस्थिति में थोड़े से बदलाव को देख सकते हैं।

समस्या-समाधान कौशल: वन्यजीव और वन्यजीव जीवविज्ञानी वन्यजीवों को प्रभावित करने वाले खतरों जैसे बीमारी और निवास स्थान के नुकसान के सर्वोत्तम संभव समाधान खोजने की कोशिश करते हैं।

अच्छा आदेशक: प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी अक्सर सहयोगियों, प्रबंधकों, नीति निर्माताओं और आम जनता के लिए प्रस्तुतियाँ देते हैं। उन्हें वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के मुद्दों पर दूसरों को शिक्षित करने में सक्षम होने की आवश्यकता है।

शैक्षणिक योग्यता

जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट में करियर बनाने के लिए छात्रों को बॉयोलॉजी विषय के साथ बारहवीं की परीक्षा पास करनी चाहिए। छात्रों को 12वीं कक्षा विज्ञान विषयों, जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन विज्ञान के साथ-साथ गणित से उत्तीर्ण करना जरुरी होता है।  पेशेवर वन्यजीव जीवविज्ञानी बनने के लिए जूलॉजी विषय के साथ स्नातक की डिग्री आवश्यक है जिसके बाद मास्टर और / या पीएच.डी. डिग्री के लिए आप जा सकते हैं। कई छात्र वन्यजीव जीव विज्ञान और संरक्षण में एम.एससी के विकल्प  के रुप में चुनते हैं।

प्राणीविज्ञानी और वन्यजीव जीवविज्ञानी की करियर संभावनाएं

जूलॉजिस्ट और वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट के रुप में छात्रों के पास इस क्षेत्र से जुड़ेने का मौका होता है। उनके पास चुनने के लिए कई कैरियर विकल्प हैं। वे एनिमल बिहेवियरिस्ट, एनिमल ब्रीडर्स, एनिमल ट्रेनर्स, एनिमल केयरटेकर, एनिमल एंड वाइल्डलाइफ एजुकेटर्स, एनिमल रिहैबिलिटेटर, कंजर्वेशनिस्ट्स, डॉक्यूमेंट्री मेकर, फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स, लैब टेक्नीशियन, रिसर्चर, वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट, वेटेरिनरी, ज़ू केपर, जू क्यूरेटर, और कई काम कर सकते हैं।  एक जूलॉजिस्ट को नेशनल ज्योग्राफिक, एनिमल प्लैनेट, डिस्कवरी चैनल आदि जैसे चैनल्स द्वारा भी नियुक्त किया जाता है, जिन्हें रिसर्च और डॉक्यूमेंट्रीज़ के लिए ज़ूलॉजिस्ट की लगातार ज़रूरत होती है। वे चिड़ियाघरों, वन्यजीव सेवाओं, वनस्पति उद्यान, संरक्षण संगठनों, राष्ट्रीय उद्यानों, प्रकृति भंडार, विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं, एक्वैरियम, पशु क्लीनिक, मत्स्य पालन और जलीय कृषि, संग्रहालय, अनुसंधान, दवा कंपनियों, पशु अस्पतालों आदि में भी काम करते हैं।


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पशु देखभाल और सेवा कार्यकर्ता

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