पर्यावरण वैज्ञानिक

इंसान का प्रकृति से गहरा संबंध रहा है यदि प्रकृति संतुलित है तो पृथ्वी पर जीवन भी संतुलित रहेगा।  इसी प्रकार पर्यावरण के लिए आपकी चिंता भविष्य में सही शिक्षा और प्रशिक्षण के साथ पर्यावरण वैज्ञानिक के रूप में करियर का आकार ले सकती है। पर्यावरण विज्ञान तेजी से बढ़ते क्षेत्र में से एक है जो आपको कई प्रकार के करियर के अवसर प्रदान कर सकता है। पर्यावरण वैज्ञानिक पर्यावरण की रक्षा करने वाले कार्यक्रमों को विकसित करने और सामान्य आबादी में स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक विज्ञान के अपने ज्ञान को लागू करते हैं।

अगर आपको पर्यावरण और प्रकृति के करीब रहकर अपना करियर बनाना है तो आपके लिए एनवायर्नमेंटल साइंटिस्ट यानि पर्यावरण वैज्ञानिक के रुप में आप बेहतरीन करियर बना सकते हैं। आधुनिकता और लगातार बढ़ते प्रदूषण के चलते इस क्षेत्र में रोजगार की कई संभावनाएं उत्पन्न हुई है। आज पर्यावरण प्रदूषण इस हद तक बढ़ गया है कि अगर समय रहते कुछ नही किया गया तो आने वाले समय में पृथ्वी पर रहना ही मुश्किल हो जाएगा। पर्यावरण को लगातार मिल रही चुनौतियों के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है जिससे आए दिन कोई न कोई प्राकृतिक आपदा का हमें सामना करना पड़ रहा है।  पर्यावरण को बचाने के लिए हर साल हजारों एनवायर्नमेंटल साइंस प्रोफेशनल की जरूरत पड़ती है। 

पर्यावरण वैज्ञानिक के कार्य

पर्यावरण विज्ञान में पर्यावरण पर अध्ययन किया जाता है। इसमें मानव का पर्यावरण से संबंध तथा उसके प्रभाव सहित विभिन्न घटक तथा पहलू शामिल है। इस क्षेत्र में व्यवसायी, प्राकृतिक पर्यावरण के संकट की चुनौतियों का सामना करने के प्रयत्न करते हैं। पर्यावरण विज्ञान मूल रूप से ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूजल, वायु व जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण व प्लास्टिक के जोखिम को दूर करने के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकियों का अध्ययन है। यह कार्य जिनके द्वारा किया जाता है, उन्हें एनवायर्नमेंटलिस्ट (पर्यावरणविद) कहा जाता है। इनका पर्यावरण सुरक्षा संबंधी कार्य विज्ञान व इंजीनियिरग के विभिन्न सिद्धांतों के प्रयोग से आगे बढ़ता है। इसमें उसे प्रशासनिक, सलाहकार व सुरक्षा तीनों स्तरों पर काम करना पड़ता है।  पर्यावरण वैज्ञानिक खतरे को पर्यावरण या पृथ्वी के निवासियों के स्वास्थ्य की पहचान करता है, उदाहरण के लिए, प्रदूषण आदि। फिर वह इन खतरों को खत्म करने के तरीके खोजने के लिए अनुसंधान करता है, या कम से कम उनके हानिकारक प्रभावों को कम करता है उनकी नौकरी में निर्णय लेने में शामिल होता है कि डेटा संग्रह पद्धतियों का उपयोग कैसे किया जाता है, और फिर वास्तव में जल, मिट्टी और खाद्य नमूनों को एकत्रित करना इत्यादि कार्य पर्यावरण वैज्ञानिक करते हैं।

पर्यावरण वैज्ञानिकों के पास उप-क्षेत्रों में विशेषज्ञता के विकल्प हैं:
  • पर्यावरणीय पारिस्थितिकी और संरक्षण
  • पर्यावरण रसायन शास्त्र
  • पर्यावरण जीव विज्ञान
  • मत्स्य विज्ञान आदि।

पर्यावरण वैज्ञानिकों की भूमिका

पर्यावरण वैज्ञानिक और विशेषज्ञ आमतौर पर निम्नलिखित गतिविधियों में शामिल होते हैं:
  • एक पर्यावरण वैज्ञानिक पर्यावरण या जीवन को नुकसान पहुंचान वाले तत्वों पर रिसर्च करता है। वह उनके असर को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाता है। ये रिसर्च आमतौर पर डेटा आधारित होते हैं।
  • अनुसंधान परियोजनाओं, जांच और सर्वेक्षणों के लिए डेटा संग्रह विधियों का निर्धारण करना।
  • पर्यावरणीय प्रभाव या डिजाइन निगरानी प्रणाली का अध्ययन करना।
  • वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए पर्यावरण संबंधी डेटा, जैसे हवा, मिट्टी, पानी, भोजन और अन्य सामग्रियों के नमूने एकत्र करना और पर्यावरण के लिए खतरों का आकलन करना।
  • पर्यावरणीय समस्याओं को नियंत्रित या ठीक करना।
  • संभावित पर्यावरणीय खतरों और स्वास्थ्य जोखिमों पर सरकारी अधिकारियों, व्यवसायों और आम जनता के बीच जागरूकता पैदा करना।
  • तकनीकी रिपोर्ट और प्रस्तुतियाँ तैयार करना जो उनके शोध और निष्कर्षों की व्याख्या करें।
  • हवा, पानी, मिट्टी के नमूनों को एकत्र कर इसका पर्यावरण पर पड़ने वाले असर के बारे में जानकारी हासिल की जाती है। इनका सूक्ष्म स्तर पर विश्लेषण करना होता है। 
  • जर्नल्स और रिपोर्ट के जरिए प्रेजेंटेशन देना 
  • पर्यावरण वैज्ञानिक वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं को रोकने के लिए पेड़ लगाने की दिशा में भी काम करना।
  • सरकारी अधिकारियों को नियमों और नितियों के निर्धारण करने की सलाह देना। है
  • पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले व्यापार व कंपनियों की ओर से फैलाए जाने वाले प्रदूषण को कम करने जैसे विषयों पर अपनी राय दे सकता है।
  • पर्यावरण की रक्षा-संरक्षण, संरक्षण, पुनर्चक्रण और पुनःपूर्ति में शामिल मुद्दों को समझना। 

पर्यावरण वैज्ञानिकों के लिए आवश्यक कौशल

वैज्ञानिक डेटा विश्लेषण कौशल: पर्यावरण वैज्ञानिक और विशेषज्ञ वैज्ञानिक डेटा के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के आधार पर अपना निष्कर्ष देते हैं। उन्हें अपने विश्लेषण में सभी संभव तरीकों और समाधानों पर विचार करना चाहिए।

पारस्परिक कौशल: वे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों के साथ टीम में काम करते हैं। टीम के सदस्यों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रभावी रूप से एक साथ काम करने में सक्षम होना चाहिए।

त्वरित सोच कौशल: पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली समस्याओं का सर्वोत्तम संभव समाधान खोजने का प्रयास करें।

प्रस्तुति कौशल: पर्यावरण वैज्ञानिक और विशेषज्ञ अक्सर ऐसी प्रस्तुतियाँ देते हैं जो उनके निष्कर्षों की व्याख्या करती हैं, और उन्हें अपनी सिफारिशों को स्वीकार करने के लिए दूसरों को समझाने की आवश्यकता होती है।

लेखन कौशल: पर्यावरण वैज्ञानिक और विशेषज्ञ तकनीकी रिपोर्ट लिखते हैं जो उनके तरीकों, निष्कर्षों और सिफारिशों की व्याख्या करते हैं।

पर्यावरण वैज्ञानिकों के लिए शैक्षणिक योग्यता

पर्यावरण वैज्ञानिक के रुप में करियर बनाने के लिए स्नातक स्तर पर  बी.एससी करने की आवश्यकता होती है। कोई भी व्यक्ति पर्यावरण विज्ञान में बी.एससी या बी.ई. डिग्री कर सकता है। इसके लिए न्यूनतम योग्यता अपेक्षा विज्ञान विषयों के साथ बारहवीं कक्षा है। आप पर्यावरण विज्ञान में एम.एससी. जैसे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं। इस पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष है और इस संबंध में न्यूनतम पात्रता मानदण्ड पर्यावरण विज्ञान या विज्ञान से संबंधित किसी अन्य विषय में बी.एस.सी. डिग्री है। कुछ संस्थान पर्यावरण विज्ञान में 2 वर्षीय एम.टेक. कार्यक्रम भी चलाते हैं, जिसके लिए केवल बी.टेक. या बी.ई. छात्र ही पात्र होते हैं। इन पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त, पर्यावरण विज्ञान तथा पर्यावरण प्रबंधक में अल्पकालीन स्नातकोत्तर डिप्लोमा कार्यक्रम भी है। छात्र पर्यावरण विज्ञान में एम.फिल. तथा पीएच.डी. जैसे डॉक्टोरल या डॉक्टरोत्तर कार्यक्रम भी कर सकते हैं। छात्र प्राणी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, कृषि विज्ञान, पारिस्थितिकी पर्यावरण नियोजन, प्रदूषण जीव विज्ञान, पर्यावरण कानूनों आदि में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं।

भारत में पर्यावरण वैज्ञानिकों की करियर संभावनाएं

पर्यावरण विज्ञान में एम.एससी पूरा कर चुके उम्मीदवार सरकारी और निजी क्षेत्रों में रोजगार पाते हैं। वे कई सरकारी संगठनों जैसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल प्राधिकरण और शहरी नियोजन में नौकरी पा सकते हैं। कुछ कंपनियां प्रोजेक्ट मैनेजर के पद के लिए पर्यावरण विज्ञान स्नातकों की भर्ती करती हैं। वे केंद्र या राज्य सरकार के कार्यालयों के लिए पर्यावरण सलाहकार के रूप में भी काम कर सकते हैं। पर्यावरण वैज्ञानिक भारतीय वानिकी सेवाओं, उर्वरक संयंत्रों और खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों में प्रबंधकों के रूप में भी काम करते हैं। इस क्षेत्र में स्नातकों के लिए मौजूद अन्य नौकरियां समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में एक पर्यावरण पत्रकार हैं। कई एनजीओ पर्यावरण के मुद्दों पर काम कर रहे हैं, इसलिए कोई भी इन संगठनों में शामिल हो सकता है।

पर्यावरण विज्ञानियों को उद्योग, मद्य निर्माणशालाएं, उर्वरक संयंत्र, खान, रिफाइनरी, वस्त्र मिल, अनुसंधान एवं विकास, वन एवं वन्य जीव प्रबंधन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहरी योजना,जल संसाधन एवं कृषि, सार्वजनिक संस्थाएं तथा निजी उद्योग, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, जलवायु परिवर्तन संबंधी अंत: सरकारी पैनल (आई.पी.सी.सी.), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यू.एन.ई.पी.),भू-प्रणाली शासन परियोजना, दूतावास तथा पर्यावरण से जुड़े अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन आदि में रोजगार मिलता है।


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