विजुअल और परफॉर्मिंग आर्ट्स में करियर

अगर आप में भी हुनर है कुछ कर दिखाने का, क्या आप अपने हुनर को समाज के सामने रखना चाहते हैं, क्या आप अपने हुनर को और तराशना चाहते हैं तो विजुअल और परफॉर्मिंग आर्ट का क्षेत्र आपके लिए करियर के दरवाजे खोल कर खड़ा है। यह वो क्षेत्र है जो केवल और केवल आपके हुवर के द्वारा ही पहचाना जाता है।
 
विजुअल आर्ट अर्थात दृश्य कला यानी रचनात्मकता प्रस्तुत करने के पारंपरिक व नवीन माध्यमों का कलात्मक मिश्रण अर्थात अपने विचारों, भावों व संवेदनाओं को विभिन्न प्रयोगों के द्वारा सरलता से आकर्षक बनाकर प्रस्तुत करना।  विजुअल और परफॉर्मिंग आर्ट्स के अंतर्गत पेंटिंग, मूर्तिकला, म्यूरल, टेक्सटाइल कला, प्रिंट मेकिंग, कमर्शियल आर्ट, इलस्ट्रेशन, एनिमेशन, टाइपोग्राफी, फोटोग्राफी, छपाई कला, पॉटरी, स्कल्पचर  आदि आते हैं।

परफॉर्मिंग आर्ट का अर्थ है प्रदर्शित की जाने वाली कला यानी जिसमें कलाकार अपने शरीर और चेहरे के हावभावों का इस्तेमाल कर कला का प्रदर्शन करता है। परफॉर्मिंग आट्र्स में मुख्य रूप से तीन क्षेत्र शामिल हैं- म्यूजिक, डांस और ड्रामा। म्यूजिक का संबंध गायन, गीत लिखने और वाद्ययंत्र बजाने से है। ड्रामा में संवाद, संकेत, हावभाव के जरिये कहानी या विचारों को प्रस्तुत किया जाता है। डांस को ड्रामा और म्यूजिक का मिला-जुला रूप माना जाता है। इसमें कलाकार को किसी संगीत या गाने पर शारीरिक मुद्राओं व भाव-भंगिमाओं के जरिये प्रस्तुति देनी होती है। थिएटर, डांस संगीत, गायन, अभिनय, मॉडलिंह, कोरियोग्राफी, डायरेक्शन,मार्शल आर्ट आदि इसके प्रमुख क्षेत्र हैं।

आवश्यक कौशल

विजुअल और परफॉर्मिंग आर्ट्स में करियर चुनना न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा बल्कि यह आपको नाम और शौहरत कमाने का भरपूर अवसर भी प्रदान करेगा। सभी दृश्य और प्रदर्शन कला प्रेमियों के पास अपने शौक को अपने पेशे में निखरने करने का शानदार अवसर है।   इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए गुणों की आवश्यकता होती है, जैसे- रचनात्मकता, टीम वर्क, भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता, काल्पनिकता, शारीरिक क्षमता, विनम्रता और पारस्परिक संवाद कौशल होना जरूरी है। म्यूजिक के लिए आवाज में दम और सुर-ताल का ज्ञान होना अनिवार्य है, जबकि डांस और ड्रामा क्षेत्र के लिए शारीरिक मुद्राओं और हावभावों से स्वयं को अभिव्यक्त करने का कौशल होना चाहिए।  

शैक्षणिक योग्यता

देशभर के कई संस्थानों और  विश्वविद्यालयों में परफॉर्मिंग आट्र्स से संबंधित कोर्स उपलब्ध हैं। यह कोर्स विभिन्न स्तरों (सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर, पीजी डिप्लोमा) पर किए जा सकते हैं। आप दसवीं के बाद सर्टिफिकेट, बारहवीं के बाद यूजी डिप्लोमा या बैचलर और बैचलर के बाद मास्टर या पीजी डिप्लोमा कर सकते हैं। कुछ संस्थानों में इस कोर्स में प्रवेश के लिए लिखित परीक्षा या कला प्रदर्शन से गुजरना होता है।  दूसरा तरीका अनौपचारिक है यानी म्यूजिक, डांस और ड्रामा के किसी समूह से जुड़ कर इस क्षेत्र में आ सकते हैं।  इस विषय से संबंधित कला इतिहास व अन्य विषयों का अध्ययन विजुअल आर्ट पाठ्यक्रम में कराया जाता है। सामान्यतः सभी संस्थानों में यह चार वर्षीय पाठ्यक्रम है। प्रथम वर्ष में संस्थान में विजुअल आर्ट्स के सभी पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं। जिसे फाउंडेशन कोर्स कहा जाता है। तत्पश्चात प्राप्तांक व मेरिट के आधार पर तीन वर्षीय स्पेशलाइजेशन कोर्स करना होता है। 

करियर संभावनाएं 

वर्तमान में इन तीनों क्षेत्रों के कलाकारों की मांग बढ़ गई है। अगर आप ड्रामा से जुड़े हैं तो टीवी पर प्रदर्शित होने वाले धारावाहिकों, फिल्म व थियेटर में काम पा सकते हैं। डांस से जुड़े लोग फिल्म व टीवी में कोरियोग्राफर के सहायक बन सकते हैं या फिर सांस्कृतिक केंद्रों से जुड़ सकते हैं। म्यूजिक क्षेत्र के लोग म्यूजिक कम्पोजर, प्लेबैक सिंगर और म्यूजिशियन के रूप में अपना करियर बना सकते हैं। आप स्कूली स्तर के अच्छे कला शिक्षक, सरकारी संस्थानों में कलाकार व फोटोग्राफर इत्यादि बन सकते हैं। स्नातकोत्तर या पीएचडी करने के उपरांत सरकारी व प्राइवेट महाविद्यालय/विश्वविद्यालयों में कला शिक्षक बन सकते हैं जिसमें आप लेक्चरर/रीडर व प्रोफेसर तक के पदों पर आसीन हो सकते हैं। इसके अलावा विज्ञापन संस्थानों/आर्ट गैलरीज/ प्रकाशन के क्षेत्र व फिल्मों के क्षेत्र में फोटोग्राफी/एनिमेशन फिल्मों इत्यादि में अपार रोजगार उपलब्ध हैं।

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