बाल परामर्शदाता

क्या आप बच्चों से प्यार करते हैं और उनकी समस्याएं आपको सबसे ज्यादा परेशान करती हैं? क्या आप सामाजिक और व्यवहारिक मुद्दों से जूझ रहे बच्चों की मदद करना चाहते हैं?  यदि ऐसा है तो फिर चाइल्ड काउंसलर बनने पर आप विचार करें,। यह आपके लिए चुनौतीपूर्ण करियर और अपार संतुष्टि वाली नौकरी हो सकती है। आज के समय में बच्चे मानसिक पीड़ा से गुजर रहे होते हैं। स्कूल और पढ़ाई का बोझ, बढ़ती प्रतिस्पर्धा, माता-पिता की इच्छाओं का दबाव उन्हें अंदर ही अंदर मानसिक रुप से जकड़ लेता है। जिसके कारण कई बच्चे गलत कदम उठा लेते हैं। आत्महत्या एवं गलत रास्तों पर चलने जैसा कदम उठा लेते हैं। बच्चे अपने मन की बात ना जल्दी माता-पिता को बता पाते हैं और ना स्वंय की तकलीफ पहचान पाते हैं। जिसे देखते हुए आज बाल मनोविज्ञानिक एवं परामर्शदाता की मांग बढ़ गई है। इस क्षेत्र में करियर के कई विकल्प खुल गए हैं। 

मनोविज्ञान में हम मानव मस्तिष्क की प्रकृति, प्रक्रिया, प्रतिक्रिया तथा इससे जुड़े अन्य पहलुओं का अध्ययन करते हैं। जीवन में तनाव हो, परेशानी हो या अन्य प्रकार की समस्याएं हों, इन्हें सुलझाने में मनोविज्ञान की अहमियत बहुत बढ़ गई है। चिकित्सा, समाजसेवा तथा रोमांच से भरपूर क्षेत्र है मनोविज्ञान । जीवन में तनाव हो, परेशानी हो या अन्य प्रकार की समस्याएं हों इन्हें सुलझाने में मनोविज्ञान की अहमियत बहुत बढ़ गई है। मनोविज्ञान की इस उपयोगिता को देखते हुए ही छात्रों का लगाव इस क्षेत्र की ओर तेजी से बढ़ रहा है। मनोविज्ञान का ही एक भाग बाल परामर्श एवं काउंसर है। बाल मनोविज्ञान में बच्चों में अध्ययन अक्षमताओं तथा अपंगताओं से जुड़े आचरण का अध्ययन शामिल होता है। पुनर्स्थापन केंद्रों आदि को बाल मनोवैज्ञानिकों की बहुत आवश्यकता होती है। 

बाल परामर्श या युवा परामर्श, हालांकि, एक प्रकार की परामर्श है जो उन बच्चों पर केंद्रित है जिन्हें मानसिक विकारों का निदान किया जाता है। वे 17 और उससे कम उम्र के बच्चों का मानसिक, व्यवहार या भावनात्मक समस्याओं का निदान और उपचार करते हैं। कुछ बाल परामर्शदाता कुछ क्षेत्रों में विशेषज्ञ होते हैं, जैसे कि बचपन का अवसाद, ध्यान की कमी वाली सक्रियता विकार या दुर्व्यवहार। अन्य, हालांकि, बच्चों में मानसिक और भावनात्मक समस्याओं की एक विस्तृत श्रृंखला का इलाज करते हैं। बच्चों में मानसिक और भावनात्मक समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं। इनमें नए लोगों से मिलना, तलाक, किसी प्रियजन की मृत्यु, दुर्व्यवहार, गरीबी, स्कूल में परेशानी और साथियों के साथ परेशानी जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं। इस बात के भी प्रमाण हैं कि कुछ मानसिक विकार वंशानुगत होते हैं और कुछ आनुवांशिक कारणों से होते हैं। बच्चों की इन समस्याओं को सुलझाने का कार्य ही बाल मनोविज्ञानिक एवं परामर्शदाता करते हैं। 

बाल परामर्शदाताओं की भूमिका

  • बाल परामर्शदाता रोगियों और बाल साक्षात्कार का परीक्षण करने के साथ वे उनके परिवार को मनोचिकित्सा प्रदान करते हैं।
  • बच्चे की स्थिति के अनुसार उपचार योजना या हस्तक्षेप करना।
  • मानसिक और भावनात्मक विकारों वाले बच्चों का इलाज करना।
  • बच्चे की रिकवरी के दौरान क्या देखभाल की जाए, इस पर उनके परिवारजनों को शिक्षित करना।
  • बाल परामर्शदाता पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया के दौरान माता-पिता कैसे बच्चों की मदद कर सकते हैं, इस पर सुझाव देना।
  • अतीत की समस्याओं और वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए कौशल और समाधान विकसित करने के लिए बच्चों के साथ काम करना।

बाल परामर्शदाता के कौशल

सहानाभूति: परामर्शदाता यानि काउंसलर को अपने मरीजों और छात्रों के साथ सहानुभूति और और संवेदना रखनी चाहिए।

धैर्य: काउंसलर अक्सर उन लोगों के साथ काम करते हैं जो तनावपूर्ण और कठिन परिस्थितियों से निपट रहे होते हैं, इसलिए उन्हें बहुत धैर्य रखना चाहिए। उनसे प्यार से बात कर उनकी समस्याओं को सुलझाना चाहिए।

श्रवण कौशल: स्कूल और करियर काउंसलर के लिए अच्छे श्रवण कौशल आवश्यक हैं। उन्हें समस्याओं और मूल्यों को समझने के लिए अपने छात्रों और मरीजों पर अपना पूरा ध्यान देने की आवश्यकता होती है, वह क्या कह रहे हैं इसे एक अच्छे परामर्शदाता को सुनना चाहिए।

लोगों से मिलने का कौशल: विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ काम करने की क्षमता परामर्शदाताओं के लिए आवश्यक है। वे अपना अधिकांश समय ग्राहकों और छात्रों या अन्य पेशेवरों के साथ सीधे काम करने में बिताते हैं और अच्छे कामकाजी संबंधों की आवश्यकता होती है।

बोलने का कौशल: स्कूल और करियर परामर्शदाताओं को ग्राहकों और छात्रों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करना चाहिए। उन्हें विचारों और सूचनाओं को इस तरह से व्यक्त करना चाहिए कि उनके ग्राहक आसानी से समझ सकें। जो उनके पास इलाज के लिए आया है उसे परामर्शदाता पर भरोसा हो सके।

शैक्षणिक योग्यता

एक स्वतंत्र विषय के रूप में मनोविज्ञान का अध्ययन अधिकांशत: कला विधा में 12वीं स्तर पर किया जा सकता है। स्नातक स्तर पर इस विषय का अध्ययन अन्य विषयों के एक युग्मक के साथ किया जा सकता है। कई अन्य विषयों की तरह मनोविज्ञान में भी ऑनर्स पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। मनोविज्ञान में पीएचडी डिग्री राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च करियर दिला सकती है।  

करियर संभावनाएं

मनोवैज्ञानिकों के लिए औद्योगिक एवं सेवा-संगठनों, बड़े अस्पतालों, स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों सहित शैक्षिक संस्थाओं, व्यावसायिक मार्गदर्शन केंद्रों, समाज कल्याण संगठनों तथा प्रसिद्ध गैर सरकारी संगठनों में कार्य के अवसर उपलब्ध होते हैं। कई मामलों में, मनोवैज्ञानिक को मानव संसाधन विभागों तथा कॉर्पोरेट जगत के प्रशिक्षण केंद्रों में कार्य के अवसर प्राप्त होते हैं। बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस), संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) जैसे संगठनों को भी मनोवैज्ञानिकों की सेवाओं की आवश्यकता होती है। अध्यापन तथा अनुसंधान अवसर व्यापक रूप में उपलब्ध होते हैं। बाल परामर्शदाता, विद्यालयों एवं अपने खुद के क्लिनिक खोल कर कार्य कर सकते हैं। यह एनजीओं के माध्यम से जुड़ कर भी कार्य कर सकते हैं।

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