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मनोचिकित्सक
लोगों को यदि अच्छी सलाह देना आपकी आदत है, यदि उनकी समस्याओं को हल करना आपको अच्छा लगता है तो मनोचिकित्सक के रुप में आपके पास एक अच्छा करियर विकल्प है। यह एक ऐसा करियर बना सकता है जो मनोचिकित्सक के रूप में आपकी योग्यता के अनुकूल हो। मनोचिकित्सक एक चुनौतीपूर्ण और उत्तेजक करियर प्रदान करते हैं जो उनकी समस्याओं और चिंताओं के साथ कई प्रकार के लोगों की मदद कर सकता है। मनोचिकित्सक ऐसे चिकित्सक हैं जो मानसिक बीमारियों के निदान और उपचार के विशेषज्ञ हैं और मन / मस्तिष्क / शरीर के इंटरफेस के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों के रूप में भी काम करते हैं।
मनोचिकित्सक को अग्रेंजी में साइकोलॉजिस्ट कहा जाता है। साइकोलॉजी ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘साइको’ अर्थात् आत्मा तथा लोगोस अर्थात् विज्ञान से मिल कर बना है, जिसे आधुनिक परिवेश में मनोविज्ञान के नाम से भी जाना जाता है। आत्मा एवं मन का विज्ञान, मनोविज्ञान एक बेहद रोचक, व्यावहारिक और गूढ़ विषय है, जिसके द्वारा आप हर उम्र के व्यक्ति के मन की बात सहजता से जान सकते हैं। आज की तनाव भरी, तेज रफ्तार एवं प्रतिस्पर्धायुक्त जिन्दगी में इन्सान जहां हंसना-खेलना तक भूल गया है, और डिप्रेशन एवं आत्महत्या जैसे कदम उठाने में भी नहीं हिचकिचाता, ऐसे में मनोविज्ञान उसके लिये किसी वरदान से कम नहीं है।
मनोचिकित्सक के कार्य
मेंटल का मतलब पागल नहीं होता है। कई कारणों से मानव शरीर में मानसिक तौर पर कमी आ जाती है। यह भी एक प्रकार का रोग है जिसका इलाज करवाने के लिए परामर्शदाता, अस्पताल या डॉक्टर के पास जाना होता है। इसके लिए अलग डॉक्टर होते हैं। मनोचिकित्सक मानसिक और शारीरिक तनावों का इलाज करता है मनोरोग चिकित्सक एक डॉक्टर होता है, जिसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान और उपचार में विशेषज्ञता हासिल होती है। अपनी सघन और व्यापक मेडिकल ट्रेनिंग के दौरान, मनोचिकित्सक को मस्तिष्क के कार्यों और शरीर और मस्तिष्क के जटिल संबंधों को समझने का प्रशिक्षण मिलता है। वे मानसिक और शारीरिक तनावों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारणों को अलग-अलग चिन्हित कर पाने में सबसे ज़्यादा योग्य होते हैं।
मनोचिकित्सा के भीतर उप-विशेषताएं
मनोरोग के भीतर भारी विविधता है। आप कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों का इलाज कर सकते हैं जिनमें शामिल हैं:
- बाल और किशोर मनोरोग,
- जराचिकित्सा मनोरोग,
- क्लिनिकल न्यूरोफिज़ियोलॉजी,
- मनोदैहिक चिकित्सा,
- नशे की लत,
- दर्द प्रबंधन और
- फोरेंसिक मनोरोग।
मनोचिकित्सकों की भूमिका
- तीव्र मानसिक विकारों से पीड़ित रोगियों का आकलन, निदान और उपचार करना।
- दवाएं और अन्य उपचार देना।
- मनोचिकित्सा करना।
- नए ग्राहकों से मिलना और उनका मूल्यांकन करना।
- कागजी कार्रवाई पूरी करना और मानसिक स्वास्थ्य उपचार टीम के अन्य सदस्यों के साथ परामर्श करना।
मनोचिकित्सक होने के आवश्यक कौशल
सक्रिय श्रवण – एक मनोचिकित्सक को अच्छा क श्रोता होना चाहिए। अक्सर उसके पास ऐसे ही व्यक्ति आते हैं जो अवसाद-तनाव एवं दुख से पीड़ित होते हैं। उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं होता। ऐसे में उनकी बाते सुनना आवश्यक है। रोगी क्या कह रहा है, इस पर पूरा ध्यान देना, किए जा रहे बिंदुओं को समझने में समय लेना मनोचिकित्सक का कौशल है।
सामाजिक बोधगम्यता - मरीजों की प्रतिक्रियाओं और समझ के बारे में जागरूक होना कि वे जैसा करते हैं वैसा ही क्यों प्रतिक्रिया करते हैं। उनकी परेशानी एवं समस्याओं का आकंलना करना मनोचिकित्सक का कौशल है।
सहानुभूति - मनोचिकित्सक अपना अधिकांश समय मरीजों के साथ बातचीत करने में बिताते हैं, उन्हें देखभाल करनी चाहिए और लोगों की मदद करनी चाहिए। मनोचिकित्सक के अंदर मरीजों के प्रति सहानाभूति एवं दया की भावना होनी चाहिए। उनसे प्यार से बात करनी चाहिए।
पारस्परिक कौशल - मनोरोगी को अपनी स्थिति का मूल्यांकन करने और उपचार प्रदान करने के लिए रोगियों के साथ तालमेल विकसित करने में सक्षम होना चाहिए। उसे अपनी बात कहनी और उनकी बात सुननी चाहिए।
धैर्य - मानसिक रूप से बीमार के साथ काम करना भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मनोचिकित्सकों को शांत रहने और सहायक होने में सक्षम होना चाहिए। धैर्य रखने से वह अपने कार्य को सफलतापूर्वक कर सकता है
पक्ष और विपक्ष
पक्ष
- इस क्षेत्र में करियर बनाने से पैसा व प्रसिद्घि, दोनों साथ मिलते हैं।
- सफलता अर्जित करने पर प्रोफेशनल तथा आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होती हैं।
- आप अपने ज्ञान, खोज व तथ्यों के आधार पर सामाजिक व मानसिक कुरीतियां दूर करने में सक्षम हो जाते हैं।
- सामाजिक कार्य से जुड़ने की शांति मिलती है।
विपक्ष
- थकावट भरी दिनचर्या व समय का अभाव है।
- इस क्षेत्र के प्रोफेशनल डॉक्टर एवं साइकोलॉजिस्ट कभी-कभी अपने आपको अपाहिज सा महसूस करते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में सर्जरी नहीं की जा सकती, केवल काउंसलिंग एवं दवाइयों द्वारा ही मानसिक रोगों का इलाज संभव है।
- कुछ रोगों के लिये तो दवाइयां 8-10 साल या फिर जीवन भर लेनी पड़ सकती हैं। अतः लंबी अविध
- इस क्षेत्र के डॉक्टर, काउंसलर, अध्यापक आदि व्यक्ति से जुड़ी कुछ समस्याओं को इस हद तक संवेदनशीलता से ले लेते हैं कि वे उनका इलाल ढूंढ़ते-ढूंढ़ते या तो खुद रोगी बन जाते हैं या फिर उनका समाज की ओर देखने का नजरिया ही बदल जाता है।
शैक्षणिक योग्यता
इस क्षेत्र में साइकोलॉजी और साइकिएट्री दो विकल्प हैं दोनों में अच्छा करियर निर्मित कर सकते हैं। साइकोलॉजी के क्षेत्र में जाने के लिए किसी भी विषय समूह में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं करना जरूरी है। उसके बाद साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं। साइकिएट्री के क्षेत्र में जाने के लिए फ़िज़िक्स, कैमिस्ट्री व बायोलॉजी विषयों से 12 करना जरूरी है। उसके बाद मेडिकल प्रवेश परीक्षा देकर एमबीबीएस करना होता है। उसके बाद साइकिएट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन (एमडी या डिप्लोमा) करना होता है। डिप्लोमा ऑफ नेशनल बोर्ड एग्ज़ाम भी कर सकते हैं।
करियर संभावनाएं
मनोवैज्ञानिक तनाव को कम करने की कोशिश करता है, मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। असामान्य मनोविज्ञान का अध्ययन करने वाले साइकोलॉजिस्ट ऐसे मरीज़ों का इलाज करते हैं जो चिंता, अवसाद, नशे की लत जैसे विकारों से पीड़ित हों। इस क्षेत्र में करियर के कई विकल्प है। आप क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, परामर्शदाता या काउंसलर, स्कूल साइकोलॉजिस्ट, फोरेंसिक साइकोलॉजिस्ट ,न्यूरो आदि के रुप में करियर बना सकते हैं। आप क्लिनिकों में, सामान्य और मनोरोग के इलाज के लिए निर्धारित अस्पतालों, यूनिवर्सिटी के मेडिकल केंद्रों में, सामुदायिक एजेंसियों में, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में, नर्सिंग होम, पुनर्वास केंद्रों, औद्योगिक और सरकारी प्रतिष्ठानों में, रक्षा सेक्टर में, अदालतों और जेलों में, स्कूल और यूनिवर्सिटी में और अन्य बहुत सारी जगहों पर काम कर सकते हैं।
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